Ek MATLA EK SHER -बाग़ में हैं बागबां क्या..........

Ek MATLA EK SHER -बाग़ में हैं बागबां क्या..........

बाग़ में हैं बागबां क्या गुल ग़ज़ब के।
पत्थरों में भी उठे अरमां तलब के।।
हुस्न का दरिया बड़ा ही जोश पे है।
हसरतें होंगी नहीं महरूम अब के।।


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