कुन्डालिया

                             कुन्डालिया

पैदल ही जो चल दिये सर पे रख के भार।
थोड़ा उनका भी जरा हुजूर करो बिचार।।
हुजूर करो बिचार छोड़ बातों का लच्छा।
देख देश का हाल करो अब तो कुछ  अच्छा।।
फ़ाको ने इस बक़्त बनाया इनको बैकल।
सड़कों पे बेहाल चल रहे हैं जो पैदल।।

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