GHAZAL-किसी का दिल दुखाके पाप कर गया यारो।

                      ग़ज़ल 02

किसी का दिल दुखाके पाप कर गया यारो।

किसी का दिल दुखाके पाप कर गया यारो
मै ख़ुद ही अपनी नज़र से उतर गया यारो


फ़िराक़ का कभी हमदर्द था जिसे समझा
बही रगो में मेरी दर्द भर गया यारो


गले लगाना भी अपनो को दूर की है सोच
करीब जाने से भी मैं तो डर गया यारो

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