DOHA
दोहे
01
गली गली जन क्यों फिरें करते धन की खोज।
धन की अपार चाह में कष्ट मिलें नित रोज।।
02
कदम कदम पे बस करे अपना खूब बखान।
कोई नहीं जमीन पे नेता सा इन्सान
03
पीछे पर निंदा करें सामने में गुणगान।
चापलूस ने जन्म से पायी अजब जुबान।।
04
लाॅकडाउन में क्या किया तूने वक्त फरेब।
काम धाम सब छीन कर खाली कर दी जेब।।
05
सर गठरी का बोझ है दूर बड़ा है गाँव।
पैदल चल चल धूप में जलते मेरे पाँव।।
बहुत अच्छे दोहे
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