EK MATLA EK SHER -बह समझ ले ख़ुदी में जो मगरूर है।

Ek MATLA EK SHAR 

बह समझ ले ख़ुदी में जो मगरूर है।

बह समझ ले ख़ुदी में जो मगरूर है।
आह! के सामने हर किला चूर है।।
फ़क्त कुछ देर हैं टिमटिमाते दिये।
और फिर रात की सुब्ह भी दूर है।।

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