GHAZAL=उम्र भर यार से बस हाथ छुड़ाया न गया
ग़ज़ल
08
उम्र भर यार से बस हाथ छुड़ाया न गया
इसलिये और कहीं पे जी लगाया न गया
पेट की आग बुझाने के लिये हम से कभी
भूल कर शाम को भी रात बताया न गया
काम तो हम भी बुरे बक़्त में उनके आये
बस कभी हम से बो अहसान जताया न गया
दिल किसी गुल की तरह आप मसल कर न कहें
हम से तो कोई किसी तौर सताया न गया
08
GHAZAL=उम्र भर यार से बस हाथ छुड़ाया न गया
उम्र भर यार से बस हाथ छुड़ाया न गया
इसलिये और कहीं पे जी लगाया न गया
पेट की आग बुझाने के लिये हम से कभी
भूल कर शाम को भी रात बताया न गया
काम तो हम भी बुरे बक़्त में उनके आये
बस कभी हम से बो अहसान जताया न गया
दिल किसी गुल की तरह आप मसल कर न कहें
हम से तो कोई किसी तौर सताया न गया
Bahut badiya
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