GHAZAL=उम्र भर यार से बस हाथ छुड़ाया न गया
ग़ज़ल
08
उम्र भर यार से बस हाथ छुड़ाया न गया
इसलिये और कहीं पे जी लगाया न गया//1
पेट की आग बुझाने के लिये हम से कभी।
भूल कर शाम को भी रात बताया न गया।।//2
काम तो हम भी बुरे बक़्त में उनके आये।
बस कभी हम से बो अहसान जताया न गया।।//3
दिल किसी गुल की तरह आप मसल कर न कहें
हम से तो कोई किसी तौर सताया न गया//4
08
GHAZAL=उम्र भर यार से बस हाथ छुड़ाया न गया
उम्र भर यार से बस हाथ छुड़ाया न गया
इसलिये और कहीं पे जी लगाया न गया//1
पेट की आग बुझाने के लिये हम से कभी।
भूल कर शाम को भी रात बताया न गया।।//2
काम तो हम भी बुरे बक़्त में उनके आये।
बस कभी हम से बो अहसान जताया न गया।।//3
दिल किसी गुल की तरह आप मसल कर न कहें
हम से तो कोई किसी तौर सताया न गया//4
Bahut badiya
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