एक मतला एक शेर

एक मतला एक शेर


हम कहानी तुम्हें सुनाते क्या

नींद से यकबयक जगाते क्या//1

राहवर के यहां दिवाली थी

शहर में दीप जगमगाते क्या//2

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

ज़िंदगी ख़ैर यूं ही जीना है रोज़ ब रोज़ ज़हर पीना है

ravaa.n-davaa.n dhaar hai nadi ki

GHAZAL=उम्र भर यार से बस हाथ छुड़ाया न गया