ज़िहाफ़= ख़ब्न (خبن)
ज़िहाफ़= ख़ब्न (خبن)
ख़ब्न उस ज़िहाफ़ को कहते हैं जो रुक्न के पहले सबबे ख़फ़ीफ़ के साकिन को गिराता है।
निम्नलिखित अरकान में सबबे ख़फ़ीफ़ पहले आता है:-
(1) فاعلن(फ़ा इ लुन)[ 212]
(2)فاعلاتن(फ़ा इ ला तुन)[ 2122]
(3)مستفعلن(मस तफ़ इ लुन)[ 2212]
(4)مفعولات(मफ़ ऊ ला तु)[ 2212]
فاعلن(फ़ा इ लुन)के فا (फ़ा) में से हम ا (अलिफ़) गिरा दें तो शेष बचता है ف (फ़े) तो हमें नया रुक्न प्राप्त हुआ فعلن (फ़इलुन) यानि हमने रुक्न के पहले सबबे ख़फ़ीफ़ का साकिन गिरा दिया है।
(1) فاعلن(फ़ा इ लुन)[ 212]
(2)فاعلاتن(फ़ा इ ला तुन)[ 2122]
(3)مستفعلن(मस तफ़ इ लुन)[ 2212]
(4)مفعولات(मफ़ ऊ ला तु)[ 2212]
فاعلن(फ़ा इ लुन)के فا (फ़ा) में से हम ا (अलिफ़) गिरा दें तो शेष बचता है ف (फ़े) तो हमें नया रुक्न प्राप्त हुआ فعلن (फ़इलुन) यानि हमने रुक्न के पहले सबबे ख़फ़ीफ़ का साकिन गिरा दिया है।
और यह साकिन रुक्न के दूसरे स्थान पर आता है इसे हम निम्नलिखित उद्हारण से समझ सकते हैं
रुक्न فاعلن (फ़ा इ लुन)में :-
ف (फ़े)पहले स्थान पर है (मुतहर्रिक़ )
ا(अलिफ़)दूसरे स्थान पर है (साकिन)
ع (ऐन)तीसरे स्थान पर है (मुतहर्रिक़ )
ل (लाम)चौथे स्थान पर है (मुतहर्रिक़ )
ن (नून)पाँचबें स्थान पर है (साकिन)
ف (फ़े)पहले स्थान पर है (मुतहर्रिक़ )
ا(अलिफ़)दूसरे स्थान पर है (साकिन)
ع (ऐन)तीसरे स्थान पर है (मुतहर्रिक़ )
ل (लाम)चौथे स्थान पर है (मुतहर्रिक़ )
ن (नून)पाँचबें स्थान पर है (साकिन)
अगर हम दूसरे स्थान का अलिफ़ हटाते हैं तो शेष बचता है (ن+ل+ع+ ف) (فعلن) (फ़ इ लुन)[112]
और यह अमल मख़बून कहलाता है।
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