Posts

ज़िंदगी ख़ैर यूं ही जीना है रोज़ ब रोज़ ज़हर पीना है

 ग़ज़ल 11 ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ज़िंदगी ख़ैर यूं ही जीना है रोज़ ब रोज़ ज़हर पीना है  زِندَگی خیر یُوں ہی جینا ھے۔ روز بہ روز زھر پینا ھے۔ आदत-ए-गिर्या-ओ-ज़ारी ने तो हिज्र का आह मज़ा छीना है  عادت گریہ و زاری نے تو ۔ حجر کا آہ  مزہ چھینا ھے۔ क़ैफ़ियत ओज पे है वक़्त-ए-ज़वाल क्यों कि सिरहाने धरी मीना है کَیفِیَت اوج پے ھےوقت زوال ۔ کِیُوں کے سرہانے دَھری مینا ھے۔

GHAZAL=AGHYAR MEIN BAS YUN HI MACHA SHOR NAHIN HAI.अग़यार में बस यूं ही मचा शोर नहीं है।

 ग़ज़ल 10                अग़्यार में बस यूं ही मचा शोर नहीं है। "'''''''''''''''''''''''''''''''''''''"""""""""""'''''''''''''’"""""""''''''''''''''''''''''''''''"''''''''''''''''''''''''' अग़्यार में बस यूं ही मचा शोर नहीं है बो जानते हैं सामने कमज़ोर नहीं है//1 اغیار  میں بس یوں ھی مچا شور نھیں ھے۔ بو جانتیں ہیں سامنے کم زور نھیں ھے۔ कर ख़ैर ख़ुदा चैन किसी तौर नहीं है ज़ुल्मात  हैं हर सिम्त कहीं भोर नहीं है//2 کر خیر خدا چین کسی طور نھیں ھے۔ ظلمات ھیں ھر سمت کھیں بھور نھیں ھے۔ महदू

DOHA

DOHA   

EK SHER

Image
 

DOHA =दोहा

 दोह                            11 आप कहें दिन दिन कहें आप कहें तो रात। राजा जी के सामने किसी की क्या औकात।।

GHAZAL =Jise bhi hamne shabista ka razdaar kiya.

ग़ज़ल 09 जिसे भी हमने शबिस्तां का राज़दार किया                   जिसे भी हमने शबिस्तां का राज़दार किया उसी ने ढोल बजा राज़ आशक़ार किया//1 किसी को इश्क़ में हासिल हुए मुकाम बहुत किसी को तन की हवस ने गुनाहगार किया//2 मना न यार ख़ुशामद से या क़सम से फिर कि छेड़ में जो ख़फ़ा हमने एक बार किया//3 निज़ामे दह्र की ख़ातिर ख़ुदा ने भी यारों कोई ग़रीब रखा कोई मालदार किया//4 इसी ख़याल से सहता रहूं दुखों को मैं बुरा किया किसी ने जो यहां पे प्यार किया//5 स्वरचित: AMIR HUSAIN BAREILLY (UTTAR PRADESH)

एक मतला एक शेर

एक मतला एक शेर हम कहानी तुम्हें सुनाते क्या नींद से यकबयक जगाते क्या//1 राहवर के यहां दिवाली थी शहर में दीप जगमगाते क्या//2